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146 सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया..सबने अपने मुद्दे विचारधारा और सोच के आधार पर बात रखी, सत्ता पक्ष से 98, प्रतिपक्ष से 48 सदस्यों ने भाग लिया.
नेता प्रतिपक्ष अब समाजवादी से सनातनी हो गए हैं, देखकर अच्छा लगा कि उन्होंने अपने सदस्यों को सनातन को लेकर टोंका भी…
आप संविधान लेकर घूमते हैं जबकि संवैधानिक पद पर लेकर बैठे व्यक्ति पर आपके टिप्पणियों को देखकर और राज्यपाल के प्रति आपके व्यवहार क्या संवैधानिक था? अगर यह संवैधानिक था तो असंवैधानिक क्या है??
आप भाषण बहुत देते हैं, लेकिन आपकी सोच भाषा व्यवहार और सोच देखना हो तो समाजवादी पार्टी के सोशल मीडिया हैंडल को देखिए, आप दूसरों को बहुत उपदेश देते हैं…लेकिन खुद नही देखते..
देव दानव मनुष्य से ही हुए, कर्म से ही उन्हें देव दानव के रूप में परिलक्षित होता है, जो स्वार्थ से ऊपर उठकर कार्य करता है वही मानव महामानव हुआ.
महाकुम्भ की चर्चा हुई,कई बातें कही गई, अयोध्या के बारे में चर्चा की गई, अच्छा लगा आपने महाकुंभ को स्वीकार किया, अयोध्या स्वीकार किया…सनातन स्वीकार किया….मान्यता यही है कि सोशलिस्ट यानी समाजवादी जब अंतिम पायदान पर खड़ा होता है तो उसे धर्म की याद आती है!!….
इस बार आप महाकुंभ गए स्नान किया और व्यवस्थाओं की मुक्त कंठ से प्रशंसा भी की, आपने माना कि महाकुंभ में अगर विश्वस्तरीय व्यवस्था नहीं होती तो अबतक 63 करोड़ श्रद्धालु न आते..अभी 26 फरवरी तक यह संख्या 65 करोड़ पार होगी….
भारत की 144 करोड़ की जनसंख्या है, इसमें सनातन धर्म को मानने वाले 110 करोड़ की संख्या है,
हम सनातन धर्म के साथ साथ बौद्ध जैन सहित सभी पंथ के पुनरुद्धार के कार्य कर रहे हैं…
26 दिसंबर की तिथि वीर साहिबजादा दिवस के रूप में याद किया जाता है,हमारे मन मे जैन तीर्थंकर के प्रति भी श्रद्धा भाव है, कबीरदासी हो या अन्य वो सभी पंथ जिनसे एक भारत श्रेष्ठ भारत का संकल्प साकार होता है…
आपने कहा कि महाकुंभ में एक जाति विशेष के लोगो को रोका गया,हमने कहा कि किसी को रोका नही गया है, अगर किसी ने अव्यवस्था फैलाई तो उसको इसकी इजाजत नहीं.
समाजवादी पार्टी के अंदर सनातन के प्रति कोई श्रद्धा भाव नही था, इसीलिए उन्होंने अपने सरकार में एक गैर सनातनी को कुंभ का प्रभार दिया, जबकि इस आयोजन में मैं खुद इसकी निगरानी करता रहा.
इसीलिए उन्हें महाकुम्भ में गंदगी दिखी, और अलग अलग भाव दिखे…